गढ़वा: गढ़वा रंका विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक श्री सत्येंद्र नाथ तिवारी ने कहा कि झारखंड के निजी लैब में कोरोना जांच की दर अन्य राज्यों की तुलना में ज्यादा है। बिहार में 2000 रूपए, कर्नाटक में 2200 रूपए, वहीं झारखंड में 4500 रूपए में जांच की जा रही है।
कोरोना वैश्विक महामारी से लड़ने के लिए जहां लोग अपनी क्षमता के अनुसार पीएम केयर्स फंड और मुख्यमंत्री राहत कोष में स्वेच्छा से अंशदान कर संक्रमित मरीजों की जान बचाने में लगे हुए हैं। वहीं बेशर्मी की हद पार करते हुए राज्य सरकार कुछ बिचौलिए/दलाल को जांच के नाम पर दोगुने दर से भी ज्यादा लूटने का लाइसेंस दे दी है।
उन्होंने कहा कि झारखंड में कोरोना संक्रमण की जांच अन्य राज्यों की तुलना में काफी कम है। धीमी जांच प्रक्रिया पर माननीय उच्च न्यायालय ने भी चिंता जाहिर की है। 3.25 करोड़ आबादी वाले झारखंड प्रदेश में अभी तक करीब 25000 ही जांच हो पाया है जो राज्य सरकार की विफलता को दर्शाता है।
श्री तिवारी ने कहा कि आज लाखों की संख्या में प्रवासी घर लौट रहे हैं। ऐसे सभी लोगों को प्रखंड/पंचायत स्तर पर चिकित्सा सुविधा, रहने-खाने की समुचित व्यवस्था करने के बजाए राज्य सरकार प्रवासियों को होम क्वॉरेंटाइन कर संवेदनहीनता और अदूरदर्शिता का परिचय दे रही है। होम क्वॉरेंटाइन का सही से अनुपालन नहीं होने की वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में भी संक्रमण का खतरा बढ़ने का भय है।
प्रवासी मजदूरों के घर वापसी की कोई स्पष्ट नीति नहीं होने की वजह से कई मजदूर रास्ते में ही दम तोड़ रहे हैं। लेकिन संवेदनहीन सरकार उनको सहयोग करने के बजाए एक रिक्शा चालक को रिक्शा देकर दल बल के साथ फोटो खिंचवाने में मस्त है।
पूर्व विधायक ने झारखंड सरकार से मांग करते हुए कहा है कि सरकार निजी लैब द्वारा वसूले जा रहे कोरोना संक्रमण की जांच दर को अन्य राज्यों के समतुल्य करे। साथ ही साथ अभी तक जिन गरीबों की जेब से ज्यादा पैसे की उगाही की गई है, सरकार उनका पैसा वापस करवाए। सरकार कोरोना संक्रमण की जांच की गति को तेज करे ताकि समय रहते ज्यादा से ज्यादा लोगों की जांच कर संक्रमण के खतरे को रोका जा सके।