आयुर्वेद विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा प्रणालियों में से एक है। यह विज्ञान, कला और दर्शन का मिश्रण है। ‘आयुर्वेद’ नाम का अर्थ है, ‘जीवन से सम्बन्धित ज्ञान’। आयुर्वेद, भारतीय आयुर्विज्ञान है। इस बात में कोई संशय नहीं है कि आयुर्वेद हमारी पुरातन परंपरा है और मानव स्वास्थ्य के लिये सबसे कारगर स्वास्थ्य प्रणाली है।
वास्तविकता तो यह है कि आयुर्वेद की परिभाषा के अनुसार जो भी ज्ञान या पद्धति मनुष्य को स्वस्थ कर सके वही आयुर्वेद है।अर्थात् दुनिया की हर पद्धति जो मानव स्वास्थ्य से जुड़ी है उसे आयुर्वेद कहा जाना चाहिये। परन्तु सरकार ने आयुष मंत्रालय का गठन कर आयुर्वेद को एक प्रकार की परंपरागत औषधियों की सीमा में बाँधकर बहुत संकुचित कर दिया है।
कुछ दिन पहले आयुष मंत्रालय ने कोरोना के लिये एक काढ़े का सुझाव दिया। इस सुझाव का पालन आग की तरह फैला। ना जाने कितने ऑर्गनाइज़ेशन ने आयुष मंत्रालय के नाम पर करोड़ों काढ़े के पैकेट बेंच दिये। परन्तु, इस काढ़े की तासीर और क्रियाकलाप पर ना ही आयुष मंत्रालय ने ध्यान दिया और ना ही बेचने वाली संस्थाओं ने।
वास्तविकता यह है कि सुझाये गये काढ़े की तासीर गर्म है और साथ में गर्मी का मौसम भी है। काढ़ा पीने से शरीर में गर्मी बढ़ती है, जिससे म्यूकस सिक्रीशन कम हो जाता है। चूँकि अभी तक यह माना जा रहा था कि अधिकांश लोगों में कोरोना संक्रमण आँख, नाक और मुँह के म्यूकस के ज़रिये प्रवेश करता है अत: म्यूकस कम बनने से संक्रमण होने की संभावना कम हो जाती है।
दूसरा इस काढ़े के प्रयोग से इम्यूनिटी बढ़ने की संभावना बताई जाती है, जिससे यदि कोरोना शरीर प्रवेश करता है तो शरीर एन्टीबॉडीज बनाकर कोरोना को समाप्त कर देगा।परन्तु कोरोना का प्राथमिक लक्षण है “ड्राई कफ”, दूसरा लक्षण है सूंघने की शक्ति कम या समाप्त हो जाना, तीसरा लक्षण फेफडों के सिकुड़ने की शुरुआत और स्वॉंस लेने में परेशानी (आई एल डी), चौथा लक्षण फेफड़ों का पूरी तरह सूख और सिकुड़ जाना (सि ओ पी डी) उसके बाद वेन्टीलेटर और अंततः मृत्यु।
परन्तु मौजूदा कंडीशन में 70 से 80 प्रतिशत कोरोना पेशेन्ट में किसी भी प्रकार के लक्षण नहीं दिखते क्योंकि उनकी इम्यूनिटी कोरोना से लड़कर जीतने की प्रक्रिया में होती है। ऐसी स्थिति में काढ़ा पीने से ड्राईनेस और बढ़ जाती है जिससे अनजाने में कोरोना की मदद हो जाती है। लड़ाई में जीतने वाला पेशेन्ट हार जाता है। अत: यदि किसी को भी काढ़ा पीने से ड्राई कफ होने लगे तो काढ़ा बंद कर, कोरोना की जाँच अवश्य करवायें। काढ़े के प्रयोग से हो सकता है कि लोगों को कोरोना संक्रमण से बचने में मदद मिले पर यदि यही काढ़ा कोरोना संक्रमित को दे दिया जाये तो घातक भी हो सकता है।
अत: काढ़ा का प्रयोग समझदारी पूर्वक करने की आवश्यकता है ना की नासमझी में किसी के सुझाव पर अमल करने की।