प्रवासियों के घर वापसी का ब्लूप्रिंट प्रकाशित करे राज्य सरकार : सत्येंद्र नाथ तिवारी

झारखंड: गढ़वा-रंका विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक श्री सत्येंद्र नाथ तिवारी ने केंद्र और राज्य सरकार द्वारा प्रवासी मजदूरों, विद्यार्थियों को वापस लाने की पहल की सराहना करते हुए धन्यवाद दिया है। साथ ही साथ उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को समय समय पर प्रवासियों के बारे में किए गए खुद के निर्णय का आकलन करना चाहिए ताकि धरातल पर सहयोग नहीं पहुंचने के कारणों की समीक्षा हो सके।



श्री तिवारी ने कहा कि आज प्रवासियों के मन में भय/असुरक्षा का भाव अकारण नहीं है। राज्य सरकार के द्वारा समय-समय पर लिए गए खुद के निर्णय और उसका अनुपालन नहीं करने की वजह से ही प्रवासियों के मन में यह भाव उत्पन्न हुआ है।


राज्य सरकार की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करते हुए उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार रोज नए-नए हथकंडे अपनाकर प्रवासियों के साथ छल कर रही है। सबसे पहले राज्य सरकार द्वारा हेल्पलाइन नंबर जारी करके गुमराह किया गया। उसके बाद कोरोना सहायता एप लॉन्च करके निबंधन करने वाले प्रवासी मजदूरों को ₹2000 आर्थिक मदद करने की बात कही गई।


पुनः सरकार ने अपने ही निर्णय को बदलते हुए प्रवासियों के खाते में ₹1000 देने की बात कही। कोरोना सहायता एप में त्रुटि होने के कारण अधिकांश मजदूरों का निबंधन का प्रयास असफल रहा। अधिकांश मजदूर रजिस्ट्रेशन का प्रयास ही कर रहे थे कि राज्य सरकार ने 30 अप्रैल को एप के माध्यम से निबंधन को बंद कर लाखों प्रवासी मजदूरों को  हतोत्साहित करने का काम किया। सरकार की समय समय पर निर्णय/नीति बदलने से प्रवासी इसका लाभ लेने से वंचित रहे।


श्री तिवारी ने राज्य सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि प्रवासी मजदूरों को तकनीकी समस्या में ना उलझाया जाए। राज्य सरकार पंचायत स्तर पर स्थानीय प्रतिनिधियों/उचित माध्यम से प्रवासी मजदूरों की संख्या का सही आकलन एवं फंसे हुए जगह को चिन्हित करके उन्हें आर्थिक सहयोग के साथ-साथ अविलंब घर वापसी की प्रक्रिया में तेजी लाए।


साथ ही साथ उन्होंने राज्य सरकार से मांग की है कि दूसरे प्रदेशों में फंसे हुए सभी प्रवासियों की विस्तृत सूची जिला स्तर पर सार्वजनिक किया जाए ताकि प्रवासियों के साथ ही साथ उनके परिजनों को भी अपने परिवार के सदस्य के घर वापसी की तिथि तथा किस माध्यम से वापस आ पाएंगे, इसका सही पता चल सके। इससे उनके मन में जो भय और असुरक्षा का भाव है, उससे बाहर निकल सकेंगे।