18 अक्टूबर 2019 के दिन अमेरिका के एक होटल में सुबह 9 बजे एक इवेंट का आयोजन होता है। आयोजन का नाम था ‘इवेंट 201‘। इस इवेंट में एक रिहर्सल की जानी थी। रिहर्सल इस बात को लेकर थी कि यदि अगले वर्ष तक विश्व तेज़ी से फैलने वाले एक वायरस की चपेट में आ जाए तो हमारी तैयारी क्या होनी चाहिए। यदि विश्व के 6.50 करोड़ लोग इससे प्रभावित हो जाए तो क्या तैयारी होनी चाहिए। इवेंट में विश्वभर के ऐसे चुने लोगों को बुलाया गया, जो उच्च पदों पर बैठे हुए हैं।
इस रिहर्सल में जो काल्पनिक वायरस लोगों के सामने रखा गया, उसका नाम ‘नोवल कोरोना वायरस’ था। ये बात कोरोना वायरस के आने से दो माह पहले की है। ये कोई संयोग नहीं था, बल्कि एक ऐसा षड्यंत्र था, जिसकी नींव 18 अक्टूबर को ही रख दी गई थी।
जॉन हॉपकिंस सेंटर फॉर हेल्थ सिक्योरिटी, वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम और बिल एन्ड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने इस इवेंट को आयोजित किया था। इसके मुख्य पैनल में पंद्रह लोग शामिल हुए थे। इनमे चीन, अमेरिका, फ़्रांस व अन्य देशों के उन लोगों को बुलाया गया जो स्वास्थ्य सेवाओं, बैंक, व्यापारिक संगठनों और मीडिया से जुड़े हुए हैं।
इनके अलावा 130 मेहमान और थे जो भविष्य में घटने वाली किसी अनजान बीमारी से निपटने की रिहर्सल देखने आए थे। वहां आए विषेशज्ञों से कहा गया कि ‘यदि मान लीजिये अगले वर्ष तक विश्व में ऐसा वायरस आ जाता है जो इंसान से इंसान में तेज़ी से फैलने लगता है तो उससे निपटने की आपकी क्या तैयारी होगी। इस काल्पनिक वायरस को उन्होंने ‘नोवल कोरोना वायरस’ का नाम दे दिया। वास्तविक कोरोना आने से दो माह पहले ही क्या उसकी तस्वीर सभी के सामने रख दी गई थी।
इवेंट में एक बड़े स्क्रीन पर काल्पनिक रूप से वह सारी स्थितियां दर्शाई गई, जिन्हे आज हम वास्तविक रूप से देख रहे हैं। वहां दिखाया गया कि सूअरों के जरिये कोरोना वायरस पहले किसानों को शिकार बनाता है, उसके बाद ये धीरे-धीरे सारी दुनिया में फ़ैल जाता है। ये वायरस फ्लू की तरह होता है। अंतरराष्ट्रीय यात्राओं के द्वारा ये विश्व के कोने-कोने में पहुँच जाता है। उस काल्पनिक वायरस की प्रॉपर्टीज और हमले का तरीका वैसा ही बताया गया था, जैसे आज हम वास्तविक कोरोना वायरस में देख रहे हैं।
बताया जाता है कि सामान्य जुकाम जैसे प्रतीत होने वाले इस वायरस का अस्पतालों में कोई इलाज नहीं मिलेगा। रिहर्सल में पूछा गया कि ऐसी स्थिति में स्वास्थ्य सेवाएं कैसे दी जाएगी और इसका विश्वभर के व्यापार और अर्थव्यवस्था पर क्या असर होगा। एक बात पर और चर्चा हुई कि ऐसे हालात में इंटरनेट पर बैन लगाया जाएगा या नहीं, ताकि इस वायरस के बारे में गलत खबर फैलने से रोका जा सके या कोई और तरीका हो।
क्या विश्व स्वास्थ्य संगठन व कुछ देश पहले से जानते थे कि कोरोना वायरस का हमला होने वाला है। इवेंट में की गई रिहर्सल, उससे निपटने की योजनाएं, सभी देशों का आपसी समन्वय, कोरोना से जुडी जानकारियों को इंटरनेट से मिटाना आदि बिलकुल वैसा ही था, जैसा हम वर्तमान में घटते देख रहे हैं। क्या कुछ देशों ने ऐसा षड्यंत्र रचा कि विश्व की अर्थव्यवस्था को बिना हथियार कैसे समाप्त किया जाए ताकि उनको इसका लाभ मिल सके। इस इवेंट में एक काल्पनिक समाचार में न्यूज़ एंकर कहती दिखाई देती है ‘कोरोना वायरस को लेकर ट्विटर और फेसबुक पर जो मनगढंत जानकारियां हैं, उन्हें हटाया जा रहा है। और आज वास्तविकता में यही हो रहा है। कोरोना का सच बताने वालों की हत्याएं हो रही हैं। उनकी सामग्री सोशल मीडिया से हटाई जा रही है।
सारा सोशल मिडिया सर्विलांस पर है। चीनी वायरस कोविड-19 पर कुछ भी लिखने और बोलने पर निगाह रखी जा रही है। वे लोग ख़ास निशाने पर हैं जो इस वायरस के बारे में दुनिया को सच्चाई बताना चाह रहे हैं। फेसबुक और यूट्यूब इस वायरस का खुलासा करती सभी जानकारियों को लगातार मिटा रहे हैं। वायरस के बारे में कोई महत्वपूर्ण सूचना का खुलासा करने वाले यूट्यूब चैनलों को सस्पेंड किया जा रहा है। दुनिया चीनी षड्यंत्र का सत्य न जान सके, इसके लिए सारे जतन किये जा रहे हैं।
एक युवा डॉक्टर डॉ विश्वरूप राय चौधरी ने पुरजोर ढंग से कोविड-19 की सच्चाई सामने लाने के प्रयास किये तो यूट्यूब से उनका चैनल सस्पेंड कर दिया गया। ये युवा डॉक्टर लगातार ये बताने का प्रयास कर रहा है कि इस वायरस का जितना खौफ फैलाया जा रहा है, ये वास्तविकता में उतना खतरनाक नहीं है। जब डॉक्टर की बात लोगों तक पहुँचने लगी तो उनके सारे माध्यमों को समाप्त कर देने की कवायद शुरू हो गई। भारतीय पद्धति से इसके इलाज का दावा करने वालों की बात नहीं सुनी गई। स्वास्थ्य मंत्री के पास डॉ चौधरी के अलावा कितने ही लोगों ने निवेदन किया कि वे इस वायरस का इलाज करने में सक्षम हैं लेकिन उनकी बात नहीं सुनी गई।
कोरोना वायरस के आने से दो माह पूर्व एक इवेंट में इसकी रिहर्सल किया जाना और बाद में ये वास्तविकता में घटित हो जाना कोई संयोग नहीं है। एक षड्यंत्र के तहत विश्व में ये वायरस फैलाया गया है। चीन के वुहान से इसका प्रकट होना कोई संयोग नहीं है। गौरतलब है कि इस वायरस का खुलासा करने वाले हर चीनी का मुंह बंद कर दिया गया। या तो वे मार दिए गए या गायब हो गए। उनसे जुड़े सभी प्रमाण नष्ट कर दिए गए, यहाँ तक कि उनसे सम्बंधित फोटो और वीडियो भी मिटा दिए गए हैं।
इवेंट 201 के पूर्वाभ्यास में इस बात पर ज़ोर दिया गया था कि सोशल मीडिया को जानकारियां देने से रोका जाए। आज ऐसा ही किया जा रहा है। यूट्यूब और फेसबुक पर जो भी इसका खुलासा करता है, उसका अकाउंट ही सस्पेंड किया जा रहा है। ये इतनी बड़ी साजिश है, जिसकी गहराई का अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता। पृथ्वी कुछ घिनौने लोगों के कारण बड़े संकट में आ गई है।
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